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जीन-बैप्टिस्ट ताती-लुटार्ड की कविताएँ 

  • golchakkarpatrika
  • Jan 31
  • 3 min read

Updated: Feb 8




जीन-बैप्टिस्ट ताती-लुटार्ड की कविताएँ 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कुमार मुकुल


युद्ध संगीत


मैं कफ़न ओढ़कर सोऊंगा

आदम के बेटों के सिर पर जंग आ चुका है

और मैं कफ़न ओढ़कर सोऊंगा

किशोरों को आगे जाने दो

कपली और उसके निवासियों को आगे जाना चाहिए

श्वेतों की बंदूक़ें गरजने दो

हम सामने परेड कर रहे हैं

हम सब कफ़न ओढ़कर सोएंगे


जब हम चलेंगे

काँपेगी सरज़मीं 

युद्ध हमारी झोंपड़ियों के निकट है

कायर पीछे भागेंगे

और अपनी बीवियों के आँचल में छिप जाएंगे।



स्वतंत्रता


धरती के गर्भ में बंद असंख्य कीड़ों को

मुक्त करता है तूफान

जो सोचते हैं

कि वक़्त आ गया

कि सूर्य और पर्वतों की ऊँचाई पर

कब्ज़ा किया जाए

उनके सपने टिटहरी की चोंच में

साँस रोके पड़े रहते हैं।


हर दिन मैं अपने जीवन की रक्षा करता हूँ

हर दिन एक स्वप्‍नगुच्छ छाँट कर अलगाता हूँ

दृश्यों के रेशों को अलग करता हूँ

रात्रि के उपजाऊ और भुसौल ऊष्ण गर्भ में

जन्म देता हूँ उन्हें

और ये परजीवी चले जाते हैं हवा पीने

फिर दोपहर जला देती है हज़ारों सपनों को।


सिर पर चढ़ा सूर्य जब

चिलकती साफ़ भाषा बोलता है

वे गाँवों में स्वतंत्रता का ढोल

पीट रहे होते हैं।


उसे फोड़ने को तैयार हो जाओ

और याद रखो

कि नंगे पाँव नाच रहे हैं लोग

उन रास्‍तों पर

जहाँ कांटे चीख रहे हैं अब

अपने पूरे चिड़चिड़ेपन के साथ।



माँ की ख़बर


इस समय

मौसम के दरख़्त की ऊँची फुनगी पर हूँ मैं

दूर देखता हूँ नीचे मैं अतीत की धरती को

जब मैदानों ने अपनी आँखें खोल रखी थीं

बीज के झोंकों के लिए

इसके पहले जब बओबाब वृक्ष

दूर उड़ते पंछियों की ओर नज़रें गड़ाए था

सूरज की पहली पुकार के साथ

यह तुम्हारी पदचाप थी

जो चतुर्दिक बज रही थी मेरे अभिषेक के साथ

घंटियों की सुरीली ध्वनि की बौछारें आ रही थीं

तब मैं मौसम की सबसे ऊँची शाख पर था

चाँद की इस पंद्रहवीं रात को

मैंने समझा कि ये वही आँसू हैं

जो तुम्हारी जगह भर रहे हैं

जिसकी हर बूँद के साथ

तुम्हारी और उज्ज्वल होती छवि

तुम्हारी इस नन्ही सी जान पर

बहुत भारी पड़ रही है

हर रात तुम्हारे दर्द में सराबोर

जगता हूँ मैं

जैसे मुझ में पुनः जाग उठी हो तुम।



 

जीन-बैप्टिस्ट ताती-लुटार्ड का जन्म 1938 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हुआ था। पोएम्स ऑफ द सी, द कांगोलेस रूट्स और द हिडन फेस ऑफ द सन उनके चर्चित कविता संग्रह हैं। उन्होंने फ्रांस के बोर्डो विश्वविद्यालय से आधुनिक साहित्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कांगो लौटने पर वे द सेंटर फॉर ग्रेजुएट स्टडीज में प्रोफेसर बने। आरंभ में शिक्षक के रूप में काम करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और 1997 से 2009 तक कांगो-ब्राज़ाविल सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री, कला और संस्कृति मंत्री और हाइड्रोकार्बन मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने एक राजनीतिक दल एक्शन मूवमेंट फॉर रिन्यूअल (MAR) की स्थापना की और उसके अध्यक्ष हुए। 2009 में कांगो में उनका निधन हुआ।


कुमार मुकुल वरिष्ठ कवि-लेखक एवं पत्रकार हैं। अनुवाद वह अपनी रुचि के अनुसार कभी-कभी करते हैं।


कृतियाँ : छह कविता संग्रह प्रकाशित। 2012 में 'डाॅ लोहिया और उनका जीवन-दर्शन', 2020 में 'हिन्दुस्तान के 100 कवि' काव्‍यालोचना प्रकाशित। 2014 में हिन्‍दी की कविता : प्रतिनिधि स्‍वर में शामिल। 2015 में ‘सोनूबीती-एक ब्‍लड कैंसर सर्वाइवर की कहानी’ का प्रकाशन। 'वेद-वेदांग कुछ नोट्स’ और बाल कहानियों का एक संकलन हाल में प्रकाशित।

पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर नियमित लेखन। कुछ विश्‍व कविताओं का अँग्रेज़ी से हिन्‍दी अनुवाद।


ईमेल : kumarmukul07@gmail.com


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