ली मिन-युंग की कविताएँ
- golchakkarpatrika
- Mar 7
- 3 min read

ली मिन-युंग की कविताएँ
अनुवाद : देवेश पथ सारिया
औरतें
कानों में सीपियाँ पहनी हुई
ये औरतें
समुद्र की याद दिलाती हैं
इनकी आँखों में उमगती लहरें हैं
दुनिया भर को ख़ुद में
समा लेने को तैयार
इन्हें भिन्न-भिन्न पहचानना
संभव न हो
यदि कोई चिह्न न पहनती हों ये
जैसे
एक हेयरपिन
पता देती है जंगलों का
कुछ दूसरी औरतें हैं
जिनकी छाती पर
सलीब लटकी है
जो बताती है
कि वे रहना चाहेंगी
पवित्र अक्षतयोनि
यही बात है
जो डाले हुए है मुझे
गहरे विषाद में।
(अंग्रेज़ी अनुवाद : विलियम मार)
भागने का एक सपना
तुम अपने सपने में भागे क्यों जा रहे हो?
क्योंकि यह वह देश नहीं रहा
जिसे मैं प्यार करता हूं
तुम अपने सपने में भागे क्यों जा रहे हो?
क्योंकि भागकर ही
मुक्त हुआ जा सकता है
तुम अपने सपने में भागे क्यों जा रहे हो?
क्योंकि मैं सपने में
एक प्रेममय घरौंदा बनाना चाहता हूँ—
दूर किसी वीराने में
(अंग्रेज़ी अनुवाद : सी. जे. एंडरसन-वू, अंग्रेज़ी संपादन : गिनी जैरामिलो)
निर्वासित
तुम्हें निकाला गया है
तुम्हारी मातृभूमि से
मातृभूमि एक ऐसी शय है
जिसके बारे में
न तो पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है
न ही उसे पूरी तरह त्यागा जा सकता है
निर्वासन में
एक सड़क
पीछे की ओर जाती है
मातृभूमि एक चेतना है
दुखती हुई
यह उद्घाटित होती है
कविता के शब्दों के दरमियां
(अंग्रेज़ी अनुवाद : सी. जे. एंडरसन-वू, अंग्रेज़ी संपादन : गिनी जैरामिलो)
तैरता हुआ प्रकाश
मैंने खो दी अपनी राष्ट्रीयता—
यह मेरी ग़लती नहीं है
न ही मेरी इच्छा
समुद्र तल जितना गहरा
मेरा घाव
इकट्ठा कर रहा है
दुनिया के सबसे भयावह दुःख
मेरी अदम्य उत्कंठा है
किनारे को महसूस करना
और प्रेम में भीगना
लेकिन
बार-बार प्रकट होता है
और ग़ायब हो जाता है किनारा
निर्वासन रद्द होता है
और पुनः लगा दिया जाता है।
(अंग्रेज़ी अनुवाद : विलियम मार)
आवेगहीन सौंदर्यशास्त्र
मूसलाधार बरसात हो रही है
वह उठता है अपनी कुर्सी से
और खिड़की तक जाता है
खिड़की की पट्टियों से नमी पोंछता है
उसकी हथेलियां गीली हो जाती हैं
मानो उम्मीद की मुर्दा घाटी में गिरते आँसू
जैसे उसका जीवन
जैसे अधिकांश लोगों का जीवन
नौकरी एक बंजर भूमि है
जहाँ जवानियाँ दफ़नाई जाती हैं
वह पोंछता है खिड़की की पट्टियों से नमी
एक छेद बनाकर वह देखता है
शहर में हो रही बरसात
शीशे की दीवारें
अवरुद्ध कर देती हैं सारा शोर
एक ख़ामोश शहर
आती-जाती कारों से भरा हुआ
और आँकड़ों में भागते पैदल लोग
एक ठंडा शहर
मानो एक भीगी हुई लाश
जिसमें कीड़े रेंग रहे हैं
वह महसूस करता है
कि उसका दिल भीड़ में तैर रहा है
जो जल्द ही निगाहों से ओझल हो जाएगा
उसके काठ के शरीर को
दफ़्तर के कोने में पड़ा छोड़कर
भीतर उगे पौधों के बीच
टेलीफोन बज रहा है
टाइपराइटर की आवाज़
तेज़ होती हुई
और
उसे बुलाती हुई
बरसात हो रही है—
मूसलाधार।
(अंग्रेज़ी अनुवाद: विलियम मार)
महासागर की फंतासी
मैंने घर से महासागर की एक पेंटिंग ली
और उसे अपने कमरे में लटका दिया
सोने के बाद अब मुझे सुनाई देती है
सागर की आवाज़
रात की नीरवता में
गुंजायमान होता है समुद्र
किसी जादू-सी जीवंत हो उठती हैं
बचपन और समुद्र तट की स्मृतियां—
ज्वार-भाटे के थम जाने की प्रतीक्षा
मैं निद्रा में होता हूँ
और समुद्र टकराता है चट्टान से
चाँदनी में पगी लहरें
मेरे हृदय से टकराती हैं
जादू-सी जीवंत हो उठती हैं
बचपन में समुद्र तट की स्मृतियां
यह ज्वार-भाटा शांत नहीं पड़ता।
(अंग्रेज़ी अनुवाद : जॉन बालकाॅम)
1947 में दक्षिणी ताइवान के काओशोंग शहर में जन्मे ली मिन-युंग ताइवान के चर्चित साहित्यकारों में शुमार हैं। वे कवि, आलोचक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके कई कविता संग्रह प्रकाशित हैं। उनकी कविताओं का अन्य भाषाओं में अनुवाद होता रहा है। उन्होंने निबंध भी लिखे हैं। वे प्रमुख कविता केंद्रित पत्रिका 'ली पोएट्री' के संपादक रह चुके हैं। ली मिन-युंग नेशनल आर्ट्स अवार्ड इन लिट्रेचर, वू युंग-फू आलोचना सम्मान, वू चो-लिउ कविता सम्मान एवं लाई हो साहित्य सम्मान सहित अन्य सम्मानों से नवाज़े गए हैं।
ली मिन-युंग का ताइवान के इतिहास और वहाँ के सरोकारों से गहरा जुड़ाव है। उनकी कविताएँ बहुआयामी तरीक़े से अपनी मिट्टी के सन्दर्भ बयान करती हैं। उनकी कविताओं में चोटिल आत्मा के घावों का ज़िक्र मिलता है। साथ ही उन चोटों की मरहमपट्टी को भी कवि प्रयासरत दिखता है।
देवेश पाथ सारिया जी को धन्यवाद जो हमें अन्य भाषा के कवियों तथा लेखकों से अवगत कराते है🌺