मेरी ओलिवर की कविताएँ
- golchakkarpatrika
- Feb 20
- 3 min read

मेरी ओलिवर की कविताएँ
अनुवाद : यादवेंद्र
याद रखने वाली तीन बातें
जब तक आप नृत्य में थिरक रहे हैं
नियम तोड़ना बहुत आसान है
कई बार नियम तोड़ना
नियमों को और विस्तार दे देता है
और कई बार आपको पता चलता है
कि कोई नियम है ही नहीं।
एक बिछुड़े दोस्त के लिए
यह ठंडक कहाँ से आ रही है?
"यह तुम्हारे दोस्त की मौत से आ रही है।"
क्या अब से मुझे इसी ठंड में रहना होगा?
"नहीं, धीरे-धीरे कम हो जाएगी....
पर यह रहेगी तुम्हारे साथ-साथ ही?"
ऐसा भला क्यों?
"क्या तुम्हारी दोस्ती ऐसी नहीं थी
कि हमेशा इसकी लौ जलती हुई लगे?"
यह उनकी बात नहीं
“प्यार के मामले में
मैं फूंक-फूंक कर कदम रखूंगा
और किसी तरह की बेवकूफ़ी नहीं करूंगा”
“मैं किसी हड़बड़ी में नहीं
जब किसी एक को चुनना होगा तो
सोच समझ कर चुनाव करूंगा”,
ऐसा कहने वाले नहीं बल्कि
वे प्रेमी जो कभी आगा पीछा देख कर प्यार का चुनाव नहीं करते
बल्कि कुछ ऐसा अदृश्य शक्तिशाली और
बेलगाम ख़ूबसूरत होता है
जो उनको अनायास चुन लेता है
यह भी हो सकता है
कि उनका चुनाव बेमेल सा लगे
लेकिन सिर्फ़ वही हैं जो समझ सकते हैं
कि मैं किसके बारे में बात कर रही हूँ
जब प्रेम की बाबत कह रही हूँ
यहाँ इस कविता में।
ऐसे इन्सान को जानना
मैं ऐसे इन्सान को जानती हूँ
जो मुझे ऐसे चूमता है
जैसे खुलती है किसी फूल की पंखुड़ी
बस उसकी रफ़्तार तेज़ होती है।
फूल बहुत प्यारे होते हैं
उनकी ज़िंदगी छोटी
पर ख़ुश करने वाली होती है
वे मन को आनंद विभोर कर देते हैं
दुनिया में कुछ भी ऐसा नहीं है
जो उनकी आलोचना में कहा जा सके
पर यह कैसी विडंबना है
कि उन्हें चूमने को मिलती है
तो सिर्फ़ हवा।
हाँ, हाँ यह सच है
कि हम बहुत ख़ुशक़िस्मत लोग हैं।
कविता टीचर
यूनिवर्सिटी ने मुझे पढ़ाने के लिए नया, सुंदर, साफ़-सुथरा क्लास रूम उपलब्ध कराया। बस एक शर्त लगा दी कि आप वहाँ कुत्ते को लेकर नहीं जा सकतीं। मैंने जवाब दिया यह तो मेरे अनुबंध में लिखा हुआ है (मैंने उस पर दस्तख़त करके यह बात मान भी ली है)।
मैंने एक दांव लगाया — नया कमरा छोड़कर मैं पढ़ाने के लिए एक पुरानी इमारत के पुराने क्लास रूम में चली गई। दरवाज़े मैंने बंद नहीं किए, खुले रखे। कमरे के अंदर मैंने पानी से भरा हुआ एक कटोरा भी रख लिया। वहाँ से मुझे आस-पड़ोस के कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनाई देती थी, उस आवाज़ में बेन की आवाज़ भी शामिल थी। देखते-देखते वह सभी धीरे-धीरे वहाँ पहुँच भी गए — स्वाभाविक है, बेन भी उनके साथ-साथ आ गया। उनकी संख्या बहुत नहीं थी, तीन-चार थे पर सभी प्यासे थे और प्यार के भूखे थे। उन सबने पहले तो छक कर पानी पिया और विद्यार्थियों के बीच घुल-मिलकर क्लासरूम को गुलज़ार बना दिया। विद्यार्थियों को खूब मज़ा आया। इसके बाद सबने मिल कर प्यास भरी प्यारी-प्यारी कविताएँ रचीं।
भंडार
जब मैं एक घर बदल कर दूसरे घर में गई तो बहुत सारी ऐसी चीज़ें थीं जिनको रखने के लिए पर्याप्त जगह वहाँ नहीं थी। फिर मैं क्या करती? मैंने एक भंडार किराए पर ले लिया और उसमें वह सारी चीज़ें रख दीं। सालों बीत गए, बीच-बीच में मैं वहाँ जाकर चीज़ों पर नजर डालती रही। लेकिन मन में उनके बिछुड़ जाने की किसी तरह की टीस नहीं उठी।
जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ती गई, मेरा ध्यान भी कम से कम चीज़ों पर टिकने लगा। बहुत कम चीज़ें ऐसी रह गई थीं जो महत्वपूर्ण लगें। तो एक दिन मैंने उस भंडार का ताला तोड़ दिया और रद्दी वाले को बुला कर सब कुछ दे दिया। वह सारा सामान लेकर वहाँ से चला गया।
उस समय मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं कोई छोटा सा गधा हूँ जिसकी पीठ पर ढेर सारा सामान लदा हुआ था और अब उसके उतर जाने से हल्का लगने लगा है।
चीज़ें, चीज़ें, कितनी चीज़ें... आग लगा दो इन सब में। जल जाएँ सारी चीज़ें। इन सबको मिला कर जो आग बनेगी, वह कितनी ख़ूबसूरत होगी। कमरे में ही नहीं, दिल में भी प्यार के लिए बहुत सारी जगह बन जाएगी। पेड़ों के लिए ज़्यादा जगह मिल जाएगी। चिड़ियों के लिए इतनी सारी जगह उपलब्ध होगी कि उन्हें परवाज़ के लिए न सिर्फ़ खुली जगह मिल पाएगी बल्कि पंख फैलाने की वजह भी मिलेगी।
बहुप्रशंसित पुरस्कृत अमेरिकी कवि मेरी ओलिवर (1935-2019) की गिनती अमेरिका में सबसे ज्यादा किताबों की बिक्री वाले कवियों में होती है। उनका लेखन प्रकृति, पर्यावरण और प्रेम के साथ गहरे जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
यादवेंद्र वरिष्ठ अनुवादक हैं। उनसे अधिक परिचय के लिए पढ़ें : फिलिस्तीनी बच्चे : कुछ कविताएँ।
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